Saturday, 1 April 2017

भारत में योग्य शिक्षकों की कमी: वित्तीय कारणों के कारण अच्छे शिक्षक शिक्षण के क्षेत्र में नहीं आते


नई दिल्ली| "भारतीय शिक्षा प्रणाली बुरी नहीं है, बल्कि समस्या योग्य शिक्षकों की कमी है। शिक्षण के जुनून या वित्तीय कारणों के बिना अच्छे शिक्षक शिक्षण के क्षेत्र में नहीं आते हैं।" यह कहना है ऑर्ट ऑफ लिविंग के एक वरिष्ठ संकाय सदस्य खुर्शीद बाटलीवाला का।खुर्शीद बाटलीवाला ने दिनेश घोडके के साथ मिलकर 'रेडी स्टडी गो' नामक किताब लिखी है, जो छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने और अपने पाठ्यक्रमों के प्रति रुझान पैदा करने का रास्ता बताती है।बाटलीवाला ऑर्ट ऑफ लीविंग से 25 सालों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, "स्कूलों और कॉलेजों में 100 फीसदी अंक पाने वाले लोगों में से भी ज्यादातर को कोई ज्ञान नहीं होता। वह बुनियादी तौर पर कुछ नहीं जानते। हर तर्क के पीछे एक कारण होता है, लेकिन खुद ही कम ज्ञान रखने वाले शिक्षक सीखने का जुनून पैदा करने में असमर्थ होते हैं। इसके बजाय वे केवल अच्छा ग्रेड लाने पर ही जोर देते हैं। शिक्षकों को स्कूली पाठ्यक्रम सिखाने के मामले में नए तरीके आजमाने चाहिए।
आठ तक ही खाते में आएगी पेंशन


लखनऊ : पेंशन खाता धारकों को इस बार पेंशन के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। वित्तीय वर्ष के शुरू होने के चलते ट्रेजरी पर बढ़े लोड के चलते पेंशन जारी करने में देरी हो रही है। कहा जा रहा है कि इस माह आठ अप्रैल तक ही पेंशन खाते में पहुंच पाएगी। 1एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष का आगाज होता है। 31 मार्च देर राततक सरकारी बिलों का भुगतान करने के बाद डाटा फीडिंग और आकउंट का लेखाजोखा ठीक करने में ट्रेजरी के कर्मचारी व्यस्त हैं इससे दूसरे काम प्रभावित हो रहे हैं। आम तौर पर प्रत्येक माह की एक तारीख तक पेंशनर्स के खाते में रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। ट्रेजरी में कर्मचारियों की व्यस्तता के कारण देरी हो रही है। कलेक्ट्रेट के मुख्य कोषागार कार्यालय से करीब पचास हजार सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारी हैंजिनको यहां से पेंशन जारी की जाती है।1 मुख्य कोषागार अधिकारी संजय सिंह के मुताबिक वित्तीय वर्षमें क्लोजिंग के काम के चलते पेंशन जारी करने में थोड़ा विलंब हो रहा है। अकाउंट का काम निपटाने के बाद जल्दी ही पेंशन जारी कर दी जाएगी। उम्मीद है कि आठ अप्रैल तक खाते में पेंशन जारी कर दी जाएगी
NEET 2017 परीक्षा के लिए नया पोर्टल लान्च,ऐसे करें आवेदन


शुक्रवार को जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने 25 वर्ष से ज्यादा उम्र के अभ्यर्थियों को भी 'NEET' परीक्षा में बैठने के लिए योग्य कर दिया वहीं सीबीएसई ने अब NEET 2017 परीक्षा के लिए एक नया पोर्टल लॉन्च कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद NEET परीक्षा में आवेदन करने की तारीख भी 5 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। सभी इच्छुक अभ्यर्थी जो पहले के नियम की वजह से आवेदन नहीं दे सके थे, वो अब अपना आवेदन अंतिम तारीख तक पूरा कर सकते हैं।


आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बेंच एक पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एक छात्र ने परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए जारी किए गए ऐज क्राइटेरिया पर सवाल उठाया था।

इससे पहले सीबीएसई के एक नोटीफिकेशन में ये बताया गया था कि NEET-2017 परीक्षा में 25 वर्ष तक के उम्मीदवार ही बैठ सकते हैं। साथ ही छात्रों को अधिकतम तीन बार परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी।


आपको बता दें कि 'NEET' देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए लिया जाने वाला एग्जाम है जिसमें हिस्सा लेकर छात्र देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन ले सकेंगे।
निजी पॉलीटेक्निकों के सीधे प्रवेश लेने पर रोक


लखनऊ : निजी पॉलीटेक्निक में छात्रों को सीधे प्रवेश लेने पर रोक लगा दी गई है। प्राविधिक शिक्षा के निदेशक कफील अहमद ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है। इसमें निजी पॉलीटेक्निकों को फिलहाल कोई भी प्रचार-प्रसार नहीं करने को कहा गया है। सीधे प्रवेश लेने की प्रक्रिया पर अब काउंसलिंग के समय निर्णय लिया जाएगा। निदेशक ने बताया कि पॉलीटेक्निक में दाखिले के लिए लाखों की संख्या में छात्र आवेदन करते हैं। बावजूद इनके निजी पॉलीटेक्निक बिना आवेदन करने वाले छात्रों को सीधे दूसरे वर्ष में दाखिला देने का लालच देते हैं। कई बार छात्रों द्वारा अधिक फीस वसूली की भी शिकायत की जाती है। यही वजह है कि सीधे प्रवेश प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। उन्होंने बताया कि अब काउंसलिंग के माध्यम से ही प्रवेश कराने पर विचार चल रहा है। इसको लेकर शासन में जल्द ही निर्णय होने वाला है। जैसे ही निर्णय लागू हो जाएगा। सीधे प्रवेश पर रोक लगा दी जाएगी। वर्तमान समय में प्रदेश में 350 से ज्यादा निजी पॉलीटेक्निक हैं। इसमें 90 हजार से अधिक सीटों पर दाखिला होता है। विज्ञापन लगाने पर होगी कार्यवाई रोक के बावजूद अगर कोई पॉलीटेक्निक सीधे प्रवेश देने का विज्ञापन निकालता है या किसी प्रकार का प्रलोभन देता है तो उस पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी। विभाग के जानकारों के मुताबित संस्था की प्रवेश क्षमता कम या सम्बद्धता समाप्त करने की कार्यवाई की जा सकती है।जानबूझ कर खाली रखते हैं सीटेंविभाग के सूत्रों ने बताया कि बहुत से सहायता प्राप्त पॉलीटेक्निकों में काउंसलिंग के दौरान छात्रों को दाखिला न देकर सीटें खाली रखी जाती हैं। इसके बाद कॉलेज प्रधानाचार्य अपने जानने वाले छात्रों को दाखिला दे देते हैं।
छठे वेतन आयोग व वेतन विसंगतियों का होगा निस्तारण: योगी


लखनऊ :छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों, राजकीय निगमों व स्थानीय निकाय की लम्बित मांगों को जल्द ही निपटाया जाएगा। यह आश्वासन कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों से मुलाकात में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया।

रविवार को कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्र के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। एनेक्सी सचिवालय के कार्यालय में पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी और उनसे प्रदेश के कर्मचारियों एवं शिक्षकों की समस्याओं के समाधान करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों एवं शिक्षकों की समस्याओं से वह भलीभांति परिचित हैं। छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों के साथ ही राजकीय निगमों व स्थानीय निकाय की लम्बित मांगों का जल्द निस्तारण कराएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि घाटे में चल रहे दस निगमों के सम्बंध में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य विचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस माह के द्वितीय सप्ताह में मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक करके समस्याओं का निस्तारण करेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल में संयोजक सतीश कुमार पाण्डेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शशिकुमार मिश्र, अतुल मिश्र और नगर निगम जलकल कर्मचारी संघ के महामंत्री कैसर रजा आदि शामिल रहे।
BTC 2015 के परीक्षा फॉर्म में सुधार का मौका


भोगांव : बीटीसी सत्र 2015 का प्रशिक्षण 22 सितंबरसे प्रारंभ हुआ था। इस सत्र में डायट और जिले के 2 दर्जन से ज्यादा निजी संस्थानों में प्रवेश पा चुके अभ्यर्थियों के पहले सेमेस्टर की परीक्षा कार्यक्रम शासन ने जारी कर दिया है। पहले सेमेस्टर की परीक्षा 18 अप्रैल से शुरू हो रही हैं। परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को शासन नेऑनलाइन फॉर्म भरने की नई व्यवस्था जारी की थी। नई व्यवस्था के तहत कॉलेजों को लॉगिन आइडी पर फॉर्म भरने के बाद डायट से अग्रसारित कराने हैं। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में कई अभ्यर्थियों ने गलत जानकारियां भर दीं। इन गलतियों को सुधारने के लिए अभ्यर्थियों को शासन ने बड़ी राहत दी है। अभ्यर्थियों के नाम, कॉलेज, वर्ग, अभिभावक के नाम, जन्मतिथि, विषय, फोटो आदि में हुई गलतियों को सुधारने के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इलाहाबाद ने मौका दिया है। अब डायट पर 2 अप्रैल तक इन गलतियों को सुधारा जा सकेगा। गलतियां सुधारने के बाद हर हाल में 5 अप्रैल तक सभी परीक्षा फॉर्मों को डायट से इलाहाबाद भेजने के निर्देश दिए गए हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की सचिव सुत्ता सिंह ने इस संबंध में डायट प्राचार्य कोनिर्देश भेजे हैं। डायट प्राचार्य नरेंद्र पाल सिंहने बताया कि सभी निजी संस्थानों को इस बारे में जानकारी दी गई है।. पृविष्टियों को सुधार कर ही परीक्षा फॉर्म अग्रसारित किए जाएंगे।
डिग्री कॉलेजों में 8 वर्षों से नहीं हो सकी शिक्षकों की नियुक्ति


प्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालय

प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पिछले 8 वर्षों से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे इन कॉलेजों में छात्र-शिक्षक अनुपात का मानक पूरा करने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवाएं ली जा रही हैं।

इन कॉलेजों में नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर (पूर्व पदनाम प्रवक्ता) के पद पर होती है। प्रदेश सरकार ने नियुक्ति का अधिकार उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को दे रखा है। पिछली सपा सरकार के शासन में कई तरह के विवादों से घिरा रहा यह आयोग वर्ष 2009 के बाद से ही कोई भर्ती नहीं कर पाया है। पहले से खाली चल रहे पदों के अलावा प्रदेश सरकार ने कॉलेजों में छात्रों की स्वीकृत संख्या के आधार पर 1234 शिक्षकों के पदों का सृजन भी किया लेकिन ये पद भी भरे नहीं जा सके। कुछ कॉलेजों के बीएड पाठ्यक्रमों का विनियमितिकरण किए जाने पर उनमें पढ़ा रहे शिक्षकों की सेवाएं जरूर विनियमित हुईं। इसी तरह आरक्षण का विवाद होने के कारण राज्य विश्वविद्यालयों में भी लंबे समय तक शिक्षकों की नियुक्तियां बाधित रहीं।


स्लेट का प्रस्ताव भी अधर में


प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (स्लेट) कराने का पिछली सरकार का फैसला भी अधर में ही पड़ा रहा। हालत यह है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की कमी के चलते स्ववित्तपोषित डिग्री कॉलेजों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। माना जाता है ‘स्लेट कराने से अर्ह शिक्षकों की कमी दूर हो सकती है।

लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डा. मौलीन्दु मिश्र कहते हैं कि केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी होने के बाद भी यूजीसी का तीसरा व चौथा संशोधन लागू नहीं किया किया गया, जिससे पीएचडी डिग्रीधारक युवा रोजगार से वंचित ही रह गए। यह संशोधन लागू करके पीएचडी धारक युवाओं को रोजगार का अवसर मुहैया कराया जा सकता है।
स्कूल के पास शराब की दुकान खोलने पर भड़के ग्रामीण, प्रदर्शन


वाराणसी : बनारस-इलाहाबाद हाइवे पर स्थित मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के कल्लीपुर गांव में एक स्कूल से चंद कदम दूरी पर शराब की दुकान खोले जाने पर ग्रामीण भड़क उठे। ग्रामीणों ने स्कूली बच्चों को साथ लेकर शराब की दुकान के सामने प्रदर्शन किया। गांव वालों के आक्रोश को देखते हुए ठेकेदार ने दुकान बंद कर दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों एवं स्कूली बच्चों को समझाकर शांत कराया। ग्रामीणों का कहना था कि गांव में पहले से शराब की एक दुकान हैं। गांव की महिलाएं-बच्चे शराबियों से परेशान हैं। ऐसे में अब गांव में शराब की कोई नई दुकान नहीं खोलने देंगे। चेतावनी दी कि यदि ठेकेदार ने शराब की दुकान खोलने की कोशिश की तो हाइवे पर चक्का जाम करेंगे।

ग्रामीणों की माने तो शराब कीे दुकान पहले हाइवे पर थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ठेकेदार ने हाइवे से दुकान को हटाकर पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित कल्लीपुर गांव के रास्ते पर किराए के मकान में दुकान खोल दिया। जिस स्थान पर शराब की दुकान खोली गई वहां से महज 50 मीटर की दूरी पर स्कूल है। उसी रास्ते से स्कूली छात्राएं एवं गांव की महिलाएं आती-जाती हैं। गांव में पहले से एक शराब की दुकान होने के कारण सामाजिक संस्था लोक समिति एवं गांव के प्रधान ने महिलाओं व स्कूली छात्रों को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि गांव में पहले से एक शराब की दुकान होने के कारण महिलाएं परेशान हैं अब दूसरी दुकान किसी भी हाल में खुलने नहीं दी जाएगी। सूचना पर एसपी ग्रामीण आशीष तिवारी, एसडीएम राजातालाब समेत तमाम अधिकारी पहुंचे और ग्रामीणों को शांत कराया।
काली पट्टी बांध शिक्षकों ने जताया विरोध


फूलपुर (आजमगढ़) :नई पेंशन के विरोध में अटेवा के बैनर तले शनिवार को शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। इस दौरान पुरानी पेंशन की मांग की गयी।

बीआरसी फूलपुर पर शिक्षकों की बैठक अटेवा के ब्लाक अध्यक्ष महेन्द्र यादव की अध्यक्षता में हुई। बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भारत सरकार 1अप्रैल 2004 से और प्रदेश सरकार 1अप्रैल 2005 से पुरानी पेंशन बंद कर दिया है। इस दौरान नई पेंशन लागू कर दी गयी है। जो शिक्षकों और कर्मचारियों के हित में नहीं है। वहीं ब्लाक अध्यक्ष महेन्द्र यादव ने कहा कि पुरानी पेंशन शिक्षकों और कर्मचारियों का अधिकार है। इसे हम किसी भी कीमत पर वापस लेंगे। सुरेन्द्र यादव ने पुरानी पेंशन को शिक्षकों और कर्मचारियों का भविष्य बताया। कहा कि पुरानी पेंशन के बिना हमारा भविष्य अंधकारमय है। इस मौके पर हनुमान प्रसाद, सतीश यादव, कमलेश कुमार, सुधीर राय, बीएन यादव, इन्दू यादव, मालती यादव, शारदा यादव, कोमल यादव, अनिल यादव, संतोष यादव, चन्द्रभान यादव, जुबेर अहमद आदि लोग मौजूद रहे।




बच्चों के अंकपत्र को लेकर शिक्षको में उहापोह


सठियांव (आजमगढ़):परिषदीय विद्यालयों में नये शैक्षिक सत्र की शुरूआत का समय आ गया है, लेकिन विभाग द्वारा विद्यालयों को अभी तक अंकपत्र नहीं दिया गया है। इतना ही नहीं टेबुलेशन चार्ट भी विद्यालयों को उपलब्ध नहीं कराया गया है। यह अलग बात है कि शासन की मंशा के अनुरूप 30 मार्च को ही सभी बच्चों को अंकपत्र जारी कर देना था। जिसे लेकर शिक्षकों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है।

कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर तथा सीबीएसई पैटर्न पर परिषदीय विद्यालयों को चलाने के लिए एक अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू कर दिया गया है। सत्र 2016-17 में पढ़ने वाले सभी बच्चों को 18 से 24 मार्च तक वार्षिक परीक्षा संपन्न करानी थी। विद्यालयों पर पेपर तो सही समय पर उपलब्ध करा दिया गया। 30 मार्च को मूल्यांकन के बाद अंकपत्र वितरण करना सुनिश्चित किया गया था। जबकि अभी तक विद्यालयों को अंकपत्र नहीं मिल सका है। कुछ लोग तो दुकानों से खरीदकर अंकपत्र बांट दिये है। अंकपत्र का प्रारूप क्या है, यह अभी भी किसी को पता नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि पुराने अंकपत्र ही बंटेगा तो कुछ का कहना है कि वर्तमान समय के अंकपत्र में ग्रेडिंग सिस्टम लगाया गया है। इसे लेकर शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कोई भी अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं है कि आखिर बच्चों को अंकपत्र कैसे बांटा जाय।